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(as of Apr 04,2021 08:00:37 UTC – Details)
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Nelson Mandela (Hindi) by Sushil Kapoor
इन्होंने जेल में अश्वेत कैदियों को भी लामबंद करना शुरू किया। इस कारण जेल में लोग इन्हें ‘मंडेला विश्वविद्यालय’ कहा करते थे।
दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला ने रंगभेद विरोधी नीतियों के खिलाफ जमकर संघर्ष कर दुनिया के सामने एक अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। 1944 में अफ्रीका नैशनल कांग्रेस में शामिल होने के बाद लगातार रंगभेद के खिलाफ लड़ते रहे और राजद्रोह के आरोप में 1962 में गिरफ्तार कर लिये गए। उम्रकैद की सजा सुनाकर इन्हें रॉबेन द्वीप पर भेज दिया गया। किंतु सजा से भी इनका उत्साह कम नहीं हुआ। इन्होंने जेल में अश्वेत कैदियों को भी लामबंद करना शुरू किया। इस कारण जेल में लोग इन्हें ‘मंडेला विश्वविद्यालय’ कहा करते थे। जीवन के 27 वर्ष कारागार में बिताने के बाद अंतत: 11 फरवरी, 1990 को रिहाई हुई और अफ्रीका के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति बने। समझौते और शांति की नीति द्वारा उन्होंने एक लोकतांत्रिक एवं बहुजातीय अफ्रीका की नींव रखी। इससे रंगभेद काफी हद तक समाप्त हुआ और बाद में उनके विरोधी भी उनके प्रशंसक बने। श्री मंडेला को उनके कार्यों के लिए दुनिया भर से पुरस्कार एवं सम्मान मिले। 1993 में उन्हें विश्व शांति के लिए ‘नोबेल पुरस्कार’ तथा 2008 में भारत के प्रतिष्ठित ‘गांधी शांति पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। श्री मंडेला अपने कार्यों का प्रेरणा-स्रोत महात्मा गांधी को बताते हैं। प्रस्तुत पुस्तक में उनके कैदी से लेकर राष्ट्रपति बनने तक की संघर्षपूर्ण जीवन का मार्मिक वर्णन है। एक अंतरराष्ट्रीय प्रेरणा- पुरुष की प्रेरक जीवन-गाथा।
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सुशील कपूर हिंदी साहित्य में एम.ए. तथा अभिव्यंजनावाद पर शोध कार्य। कुछ समय तक कॉलेज में अध्यापन के बाद एक पत्रिका के उपसंपादक बने। एक समाचार एजेंसी में उपसंपादक, एक प्रकाशन संस्थान में प्रकाशन-प्रबंधक, एक समाचार मासिक में वरिष्ठ सहायक संपादक रहे तथा एक विज्ञापन एजेंसी में दो दशक तक वाइस प्रेसीडेंट के पद पर काम किया। इसके साथ-साथ रेडियो व विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए लेख, अग्रलेख, आवरण कथाएँ, फीचर, नाटक आदि लिखे। विज्ञापन एजेंसियों के लिए कॉपीराइटिंग तथा लघुचित्रों के लिए पटकथाएँ आदि लिखीं। प्रकाशन संस्थानों के लिए लेखन, अनुवाद, संपादन आदि।
अनुक्रम
मंडेला का बचपनकिशोर मंडेलाहीलटाउन मेंकॉलेज का जीवनबड़े शहर मेंराजनीति और प्यारनेत्तृत्व की शुरुआतसंघर्श का बिगुल बजास्वाधीनता सेनानीजुझारू मंडेलालुका-छिप्पी का खेलक्रन्तिकारी मंडेलाआजीवन कारावासबंधन-मुक्त मंडेलाराष्ट्पति मंडेलाविश्व शांतिदूत मंडेलाजीवन यात्रा
Bharat Ka Veer Yoddha Maharana Pratap by Sushil Kapoor
अपनी आन के पक्के महाराणा प्रताप को मेवाड़ का शेर कहा जाता है। हल्दीघाटी के युद्ध में वह मुगल सेना से हार गए और उन्हें जंगलों में अपने परिवार के साथ शरण लेनी पड़ी। वहाँ कई-कई दिन उन्होंने भूखे-प्यासे और घास-पात की रोटियाँ खाकर गुजारे। महाराणा प्रताप का जन्म सिसोदिया राजपूतों के वंश में हुआ। उनके पिता उदय सिंह स्वयं एक प्रबल योद्धा थे। उन्होंने कभी मुगलों के सामने घुटने नहीं टेके। युद्ध से बचने के लिए आस-पास के कई राजपूत राजाओं ने अपनी पुत्रियों के विवाह अकबर के साथ कर दिए; लेकिन उदय सिंह ने वैसा नहीं किया। महाराणा प्रताप ने भी अपने पिता की नीति का अनुसरण किया। मुगल बादशाह अकबर को यह बात बहुत खटकती थी। इसी का बदला लेने के लिए उसने मानसिंह और राजकुमार सलीम के नेतृत्व में सेना भेजी। हल्दीघाटी के मैदान में हुए युद्ध में महाराणा प्रताप के अंतिम सैनिक तक ने बलि दे दी। तब जाकर मुगल सेना बढ़त बना पाई।
MAHAN AVISHKARAK MARCONI by Sushil Kapoor
हिंदी साहित्य में एम.ए. तथा अभिव्यंजनावाद पर शोध कार्य। कुछ समय तक कॉलेज में अध्यापन के बाद एक पत्रिका के उपसंपादक बने। एक समाचार एजेंसी में उपसंपादक; एक प्रकाशन संस्थान में प्रकाशन-प्रबंधक; एक समाचार मासिक में वरिष्ठ सहायक संपादक रहे तथा एक विज्ञापन एजेंसी में दो दशक तक वाइस प्रेसीडेंट के पद पर काम किया। इसके साथ-साथ रेडियो व विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए लेख; अग्रलेख; आवरण कथाएँ; फीचर; नाटक आदि लिखे। विज्ञापन एजेंसियों के लिए कॉपीराइटिंग तथा लघु चित्रों के लिए पटकथाएँ आदि लिखीं। प्रकाशन संस्थानों के लिए लेखन; अनुवाद; संपादन आदि किया। संप्रति स्वतंत्र लेखन। अनेक प्रकाशन संस्थाओं के लिए संपादन व महत्त्वपूर्ण प्रोजेक्टों पर 20 साल का अनुभव। सभी विद्याओं की करीब 50 पुस्तकों का अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद।
Lauhpurush Sardar Vallabhbhai Patel by Sushil Kapoor
स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल का सबसे पहला और बड़ा योगदान खेड़ा आंदोलन में रहा। बारदोली में सशक्त सत्याग्रह करने के लिए ही उन्हें ‘सरदार’ कहा जाने लगा। सरदार पटेल को 1937 तक दो बार कांग्रेस का सभापति बनने का गौरव प्राप्त हुआ। आजादी के बाद भारत के राजनीतिक एकीकरण में उनके महान् योगदान के लिए इतिहास उन्हें सदैव स्मरण रखेगा। अपनी दृढ़ता के कारण वे ‘लौह पुरुष’ कहलाए। सरदार पटेल स्वतंत्र भारत के उप-प्रधानमंत्री होने के साथ प्रथम गृह; सूचना तथा रियासत विभाग के मंत्री भी थे। उनकी महानतम देन है 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलय करना। वे नवीन भारत के निर्माता; राष्ट्रीय एकता के बेजोड़ शिल्पी और भारतीय जनमानस अर्थात् किसान की आत्मा थे। अपने रणनीतिक कौशल; राजनीतिक दक्षता और अदम्य इच्छा-शक्ति के बल पर भारत को एक नई पहचान देनेवाले समर्पित इतिहास-पुरुष की प्रेरणाप्रद जीवनी।
VISHVA KE MAHAN BHASHAN by Sushil Kapoor
“अपने से पूछिए कि आप भारत के लिए क्या कर सकते हैं। भारत को आज का अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश बनाने के लिए जो भी करने की जरूरत है; करिए।” —ए.पी.जे. अब्दुल कलाम “स्व-शासन का अर्थ कौन नहीं जानता? कौन उसे नहीं चाहता? क्या आप यह पसंद करेंगे कि मैं आपके घर में घुसकर आपकी रसोई अपने कब्जे में ले लूँ? अपने घर के मामले निपटाने का मुझे अधिकार होना चाहिए।”—बाल गंगाधर तिलक विश्व के महान् मनीषियों; विचारकों; राजनेताओं व युग-प्रवर्तकों की ओजस्वी वाणी हमारे अंतर्मन को छू जाती है। अब्राहम लिंकन; अल्बर्ट आइंस्टीन; गैलीलियो गैलिली; जॉन एफ. केनेडी; नेल्सन मंडेला; बराक ओबामा; मार्टिन लूथर किंग जूनियर जैसे विश्व-प्रसिद्ध विदेशियों और महात्मा गांधी; स्वामी विवेकानंद; बाल गंगाधर तिलक; सुभाषचंद्र बोस; ए.पी.जे अब्दुल कलाम जैसी भारतीय विभूतियों के विचारों में एक समानता है—अपने राष्ट्र; अपने समाज के प्रति चिंता; उनके उत्थान के लिए चिंता। समाज को दिशा देनेवाले विचारोत्तेजक भाषणों एवं विचारों का प्रेरक संकलन।
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